
जब लता दीदी ने गाया, छूट जाही अंगना अटारी…; छत्तीसगढ़ी गीत गवाने रखना पड़ा था गीतकार को उपवास
रायपुर/राजनांदगांव.
(Lata Mangeshkar) लता दीदी नहीं रहीं। प्रशंसकों में दीदी और ताई से संबोधित होने वाली भारत रत्न, स्वर कोकिला लता मंगेशकर का रविवार को निधन हो गया। उनका छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी से भी नाता जुड़ा था। 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाने वालीं लता ताई ने छत्तीसगढ़ी में एकमात्र गीत गाया, जो इतिहास बन गया। इस गीत को गवाने के लिए गीतकार को उपवास तक रखना पड़ा। इससे पहले खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा था।
बात करीब 16 साल पुरानी है। यानी 22 फरवरी 2005 की। जिस दिन मुंबई के स्टूडियो में लता दीदी (Lata Mangeshkar) ने छत्तीसगढ़ी गीत छूट जाही अंगना अटारी …. छूटही बाबू के पिठइया की रिकॉर्डिंग की थी। शादी के बाद बेटी की विदाई पर इस गीत की रचना मदन शर्मा ने की थी और संगीत दिया था कल्याण सेन ने। छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘भखला’ के लिए गाए इस गीत को लता जी ने छत्तीसगढ़ी बोली में ही गाया था। इसके पहले और इसके साथ तमाम किस्से जुड़ते चले गए।
चार बार लगाए मुंबई के चक्कर, रखा उपवास
गीतकार मदन शर्मा ने इस गीत को गवाने के लिए लता दीदी को राजी कर लिया था। लेकिन इससे पहले उन्हें तमाम पापड़ बेलने पड़े। इस बात को मदन शर्मा स्वयं स्वीकार कर चुके हैं कि लता जी को गाने के लिए राजी करना उनकी जिंदगी का सबसे मुश्किल काम रहा। इसके लिए मदन शर्मा ने नवंबर 2004 से लेकर फरवरी 2005 तक चार बार मुंबई के चक्कर लगाए। तब जाकर लता दी से गाने के लिए हां सुनने को मिला।
फिर रखना पड़ा उपवास तो हुई रिकॉर्डिंग
मदन शर्मा ने भास्कर को दिए अपने इंटरव्यू में बताया था कि पहली बार गए तो पता चला कि वो विदेश गई हैं। दूसरी बार गए तो वो पुणे में थीं। तीसरी बार भी कुछ ऐसा ही हुआ और चौथी बार में ऊषा जी के जरिये उनसे मुलाकात हुई और रिकॉर्डिंग की गई। बताते हैं कि चौथी बार मैंने तय कर लिया था कि जब तक लता दी गाना रिकॉर्ड नहीं कर लेंगी तब तक उपवास रखूंगा। शाम 6 बजे रिकॉर्डिंग के बाद ही मैंने व्रत तोड़ा।
2 लाख फीस में से 50 हजार मिठाई के लिए लौटा दिए
छत्तीसगढ़ी इस गाने की रिकॉर्डिंग के लिए तब लता जी की फीस 2 लाख रुपए तय हुई। गाने की रिकॉर्डिंग पूरी हुई तो लता जी (Lata Mangeshkar) ने फीस की तय रकम में से 50 हजार रुपए लौटा दिए। कहा था कि ये मेरा पहला छत्तीसगढ़ी गीत है, तो सबको लौटकर मेरी तरफ से मिठाई खिलाना।
41 साल पहले खैरागढ़ यूनिवर्सिटी ने दी थी डी-लिट की उपाधि
छत्तीसगढ़ में लता दीदी के यादों के पिटारे में एक और किस्सा भी शामिल है। यह करीब 41 साल पुराना है। तारीख थी 9 फरवरी 1980, जब खैरागढ़ स्थित इंदिरा गांधी कला संगीत विश्वविद्यालय ने लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को डी-लिट की उपाधि से नवाजा था। इसे संयोग ही कहेंगे कि 6 फरवरी को इस धरती से विदा लेने वाली लता मंगेशकर का रिश्ता भी फरवरी माह में ही जुड़ा। फिर वह डॉक्टरेट की उपाधि हो या फिर छत्तीसगढ़ी गीत की रिकॉर्डिंग।
गीत सहेजने की मांग
इस गीत की सफलता के बाद स्टेट के कई फिल्म मेकर्स लता मंगेशकर से अपनी फिल्म में गीत गाने की गुजारिश कर चुके थे, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। हालांकि लता जी के गाए छूट जाही अंगना अटारी …. गीत को लेकर पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘कहि देबे संदेश’ के डायरेक्टर मनु नायक, गीतकार मदन शर्मा और म्यूजिशियन कल्याण सेन छत्तीसगढ़ी संगीत की धरोहर के रूप में सहेजने की मांग संस्कृति विभाग से करते रहे हैं। (Lata Mangeshkar)
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