December 10, 2023
PadamSri Mamta Chandrakar fed Curry To Lata Mangeshkar In Khairagarh

लता जी ने छत्तीसगढ़ी कढ़ी के लिए दिखाया उत्साह, जिस छात्रा ने परोसी पद्मश्री हो गई; फतह मैदान में गाया था- मोगरा फुलला…

Read Time:4 Minute, 23 Second

राजनांदगांव.

स्वर कोकिला लता मंगेशकर मात्र एक बार छत्तीसगढ़ आईं, और यहां की तमाम यादों में समा गईं। करीब 41 साल पहले खैरागढ़ स्थित कला संगीत विश्वविद्यालय ने लता जी को डॉक्टरेट की मानद उपाधि देने बुलाया था। इस दौरान भोजन के लिए बैठीं तो एक छात्रा ने उनसे छत्तीसगढ़ी कढ़ी के लिए पूछा। उन्होंने भी उत्साह से कहा- जरूर खाएंगे। उन्हें कढ़ी खिलाई वाली छात्रा भी अब गायन के चलते पद्मश्री सम्मानित हैं।

लता जी गरीबी के चलते अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं और बचपन में ही छोड़ना पड़ गया, लेकिन उनकी प्रतिभा के आगे हर कोई नतमस्तक था। इसी के चलते 6 यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा। उसी में एक खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय भी है। लता जी को डी-लिट की डिग्री प्रदान करने के लिए 2 फरवरी 1980 का दिन तय किया गया। लता जी आईं और उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी गई।

कढ़ी के बारे में पूछा तो बोलीं- जरूर परोसें, बिल्कुल खाएंगे

कार्यक्रम के बाद भोजन परोसने में छात्र-छात्राओं की ड्यूटी लगाई गई थी। उन्हीं छात्राओं में एक थीं लोक गायिक पद्मश्री ममता चंद्राकर। वह तब यूनिवर्सिटी में शास्त्रीय संगीत (गायन) विषय में एमए कर रही थीं। ममता के हाथ में कढ़ी थी। लता जी भी गायिका। ऐसे में उन्हें संकोच हो रहा था कि खट्‌टी होने के चलते वह खांएगी या नहीं। आखिरकार हिम्मत कर पूछ ही लिया। इस पर लता जी उत्साह से बोलीं- जरूर परोसें, बिल्कुल खाएंगे।

लता जी के लिए कला-संगीत का गुरुकुल था विश्वविद्यालय

अब ममता चंद्राकर उसी खैरागढ़ यूनिवर्सिटी की कुलपति हैं। दैनिक भास्कर से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यादें बहुत धुंधली हो गई हैं, लेकिन लता जी में कढ़ी को लेकर बहुत उत्साह था। उन्होंने बड़े चाव और आनंद से कढ़ी खाई। इसके बाद उन्होंने फतह मैदान में ‘मोगरा फुलला… फुलें वेचिता बहरू कड़ियांसी आला’ की दो लाइनें भी गाकर सुनाई थीं। कुलपति चंद्राकर कहती हैं कि लता जी के लिए यह युनिवर्सिटी कला और संगीत का गुरुकुल थी। जिस महल में वह आईं, अब मैं वहां निवासरत हूं। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

उनका निधन विश्वविद्यालय के लिए गहरे दुख का कारण

कुलपति ममता चंद्राकर कहती हैं कि भारत रत्न लता मंगेशकर जी का निधन से देश और पूरी दुनिया के साथ विश्वविद्यालय भी गहरे दुख में है। लता जी हमेशा मेरी आदर्श रहीं। उनका इस दुनिया से जाना मेरे लिए व्यक्तिगत और अपूरणीय क्षति है। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय इस दुख के क्षण में दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए उनके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि व्यक्त करता है।

यह भी पढ़ें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Close

Crime